हमारा प्रयास कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने का रहता है ताकि इसका इलाज पहले ही चरण में हो जाए और ज्यादा से ज्यादा लोग स्वस्थ जीवन ही सकें। लेकिन हम में से कई लोग अक्सर कैंसर के लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं जब तक कि कोई बड़ा बदलाव न दिखने लगे। जब तक हम डॉक्टर के पास जाते हैं, जांचें होती हैं और बीमारी की पहचान होती है तब तक तनाव और चिंता हम पर बहुत बुरा असर डाल चुकी होती है। याद रखिए कि चिंता करने और तनाव लेने से आपका जीवन और कठिन हो जाएगा और इससे कैंसर और ज्यादा बढ़ेगा। स्वीकार कीजिएः ? कोई भी व्यक्ति यह सोच कर नहीं जीता कि एक दिन मुझे कैंसर हो जाएगा। आम तौर पर यह अनजाने में ही हो जाता है। बहुत से लोग खुद ही इस बात को नहीं मानते हैं। मेरे साथ यह कैसे हो सकता है? मैं तो सेहतमंद जीवन जीता हूं। लेकिन अच्छा यही है कि जब एक बार पहचान हो जाए तो इसे मान लें और ठीक होने पर ध्यान दें। सबसे अच्छा इलाज चुनेंः बहुत सोच समझ कर अपने लिए डॉक्टर और अस्पताल का चुनाव करें। अपनी आर्थिक स्थिति, मेडिक्लेम वगैरह को ठीक से देख लें। कैंसर विशेषज्ञों से पक्के तौर पर कम से कम तीन बार सलाह करें। यह तय करें कि सभी जांचें ठीक से की जाएं और सही ढंग से बीमारी की पहचान हो जाए। आपके इलाज की दशा-दिशा पर अपने डॉक्टर से चर्चा करें। और आपके मन में जो भी हो वह बेहिचक उन्हें बताएं। अपनी सभी शंकाएं दूर कर लें। अपनी देखभाल करेंः खुद पर ध्यान दें। अपने आप को अफसोस और मायूसी के साथ देखना बंद करें। जानकारी लें और समझें कि क्या किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले यह समझें कि आपको किस प्रकार का कैंसर है। कैंसर में सूजन की भूमिका क्या होती है। आपको कितने व्यायाम की आवश्यकता है और कब आपको मुश्किल कामों से बचना है। आप का खानपान सबसे महत्वपूर्ण है। किसी आहार विशेषज्ञ से बात करें और यह तय करें कि आप ठीक से पोषक भोजन कर रहे हैं। साथ देने वाली व्यवस्था बनाएंः एक बड़ा, साथ देने वाला परिवार हर व्यक्ति की किस्मत में नहीं होता। अगर आपके पास है तो आप उनसे मदद मांगें, रोजमर्रा के काम ठीक से करने में उनका सहयोग लें। यदि नहीं है तो निराश न हों, बहुत सारे एन जी ओ और कैंसर सहयोग ग्रुप हैं जो आपका साथ दे सकते हैं। उनका सहयोग लें। इस मुश्किल सफर में आप अकेले नहीं हैं। आप कैंसर से लड़कर ठीक हो चुके लोगों के ग्रुप में शामिल हो सकते हैं जहां आप यह जान सकेंगे कि उन्होने अपनी लड़ाई कैसे लड़ी और आपको प्रेरणा भी मिलेगी। वैकल्पिक चिकित्साः रिसर्च और तथ्यों से यह साबित हुआ है कि कैंसर के नियमित इलाज के साथ वैकल्पिक चिकित्सा से कीमोथेरेपी और रेडियेशन के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है। जैसे एक्यूपंचर, अरोमाथेरेपी, सम्मोहन और संगीत चिकित्सा से कीमोथेरेपी के बाद की मिचली और सिरदर्द कम होते हैं। जब आप एंटीबायोक्सि पर हों तो प्रो और प्रीबायोटिक्स मल त्याग में मदद करते हैं।