24 घंटे खुला है

आपातकालीन सेवाएं

भोपाल,

करियर कैंसर हॉस्पिटल

कैंसर डायग्नोस होने के बाद 5 चीजें (चिंता के अलावा) जो करनी चाहिए

हम कैंसर के बारे में लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं ताकि पहले स्टेज में इसका ट्रीटमेंट किया जा सकें और ज्यादा से ज्यादा लोग ठीक हो सकें। लेकिन कई बार हम लोग तब तक कैंसर के लक्षणों पर ध्यान नहीं देते जब तक यह कोई बड़ा बदलाव नहीं कर दे। इसके बाद जब हम डॉक्टर्स के पास जाते हैं और टेस्ट करवाते हैं, कैंसर डायग्नोस होता है तब चिंता और तनाव हमें बुरी तरह से प्रभावित करते हैं।
यह याद रखें कि टेंशन और तनाव से आपका जीवन और मुश्किल हो जाएगा और कैंसर आपके शरीर में घर कर लेगा।

ऐसा कोई सोचकर नहीं जीता कि एक दिन उसे कैंसर हो जाएगा। आमतौर पर कैंसर आपको तब होता है जब आपको इसके बारे में कुछ पता नहीं होता है। ज़्यादातर लोग इसे खुद से ही नकार देते हैं। यह मुझे कैसे हो सकता है? मैं तो स्वस्थ जीवन जीता हूं। एक बार जब कैंसर डायग्नोस हो जाता है तो सबसे अच्छी बात यह है कि इसे स्वीकार कर लें और अपना ध्यान इसकी रिकवरी पर लगाएं।

अपने डॉक्टर और अस्पताल का चयन सोच-समझकर करें। अपनी आर्थिक स्थिति, मेडिक्लेम पॉलिसी आदि देखें। यह तय करें कि आपको किसी कैंसर विशेषज्ञ से कम से कम तीन ऑपिनियन मिले। सारे टेस्ट करवाएं और यह भी देखें कि सही डायग्नोस किया गया है या नहीं। अपने डॉक्टर के साथ अपने ट्रीटमेंट के कॉर्स पर बातचीत करें। जो आपके मन में है वह खुलकर अपने डॉक्टर से बात करें और अपनी सभी शंकाओं को दूर करें।

खुद की तरफ देखें। अपने आप को निराशा और उदासी के साथ देखना बंद करें। इस बात पर जोर दें कि आपको अब आगे क्या करना है। इसके लिए आपको यह पता होना चाहिए कि आपको कौनसा कैंसर हुआ है। सूजन या जलन की कैंसर में क्या भूमिका होती है, आपको कितने व्यायाम की जरूरत है और आपको किन कार्यों को करने से बचना चाहिए। आपकी डाइट इस समय बहुत अहम हो जाती है। डाइटिशियन से सम्पर्क करें और यह सुनिश्चित करें कि आप सही मात्रा में पोषण ले रहे हैं या नहीं।

हर कोई इतना भाग्यशाली नहीं होता कि वह एक बड़ा सपोर्टिव (सहायक) परिवार वाला हो। अगर आपके पास ऐसा परिवार है तो उनसे बात करें और सहायता के लिए पूछें, आपनी हर की गतिविधियों को पूरा करने में आपकी मदद करें। अगर ऐसा नहीं है तो फिर आप किसी एनजीओ(NGO) या फिर किसी कैंसर हेल्प ग्रुप की मदद भी ले सकते हैं। इस यात्रा में आप अकेले नहीं है और आप कैंसर से बचे लोगों के ग्रुप में शामिल हो सकते हैं, जहां आपको उन लोगों से प्रेरणा मिलेगी कि कैसे उन्होंने कैंसर के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी है।

रिसर्च और फेक्ट से यह साबित हुआ है कि नियमित कैंसर ट्रीटमेंट के साथ-साथ वैकल्पिक थेरेपी से कीमोथेरेपी और रेडिएशन के साइडइफेक्ट्स को कम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए एक्यूपंक्चर, अरोमाथेरेपी, हीप्नोसिस और म्यूजिक थेरेपी से कीमोथेरेपी के बाद मितली और सिरदर्द को कम किया जा सकता है। जब आप एंटीबायोटिक्स पर होते हैं तो प्रो एवं प्री बायोटिक्स आपकी मदद करते हैं। योग और सांस लेने की तकनीक से आप घबराहट जैसी समस्याओं से बच सकते हैं।