जी हां, आपने ठीक पढ़ा है। आपको अपने शरीर में कैंसर कोशिकाओं को पालना नहीं है। इसके लिए आपको यह समझना होगा कि कैंसर कोशिकाएं क्या हैं, कैंसर कैसे होता है और हमारे भोजन और कैंसर के बीच में कैसे सीधा संबंध है। हमारा शरीर खरबों कोशिकाओं से मिलकर बना है। ये इंसान के शरीर की बनावट की बुनियदी इकाईयां हैं। ये कोशिकाएं हमारे खून के प्रवाह में से पोषक तत्व लेकर उन्हें ऊर्जा में बदलती हैं जिससे इंसान का शरीर बेहतरीन ढंग से काम कर पाता है। कोशिकाएं बढ़ती हैं, टूटती हैं और जरूरत पड़ने पर मर जाती हैं। फिर नई कोशिकाएं बनती हैं, और शरीर में यह चक्र जीवन भर चलता रहता है। कैंसर कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं से अलग कैसे होती हैं? सामान्य कोशिकाएं कई कारणों से बदलती हैं। कोशिकाओं में यह बदलाव इनके सामान्य तरीके से बढ़ने, टूटने और खत्म हो जाने को रोक देता है और ये कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर बढ़ने लगती हैं। और कोशिकाओं का यही नियंत्रण से बाहर बढ़ना कैंसर का कारण बनता है। हर तरह के कैंसर शरीर की कोशिकाओं से ही शुरू होते हैं। किसी एक कोशिका या कोशिकाओं के एक समूह में बदलाव आता है। चिकित्सा विज्ञान की भाषा में इस बदलाव को जीन म्यूटेशन कहते हैं। यह जीन म्यूटेशन शरीर की किसी भी कोशिका में हो सकता है। इसीलिए आप शरीर के किसी भी हिस्से में कैंसर होता हुआ देख सकते हैं। मानव कोशिकाओं में म्यूटेशन के कई कारण हो सकते हैं। विरासत में मिला हुआ म्यूटेशन, उम्र बढ़ना, धुम्रपान करना, ज्यादा शराब पीना, बहुत ज्यादा यू वी किरणों के सम्पर्क में आना। इसके अलावा पर्यावरण जुड़े कुछ पहलू जैसे रसायनों से सम्पर्क, किन्हीं वायरसों का संक्रमण होना, सूजन और सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला भोजन। कैंसर और भोजन के बीच सीधा संबंध है कैंसर एक बहुत ही पेचीदा किस्म की बीमारी है। कैंसर के कई कारण हो सकते हैं लेकिन रिसर्च से यह कुछ हद तक साबित हुआ है कि कुछ खास किस्म की खाने की चीजें कैंसर होने की संभावना को बढ़ा देती हैं। • खाने की कुछ चीज़ें कार्सिनोजन होती हैं यानि कि उनमें कैंसर पैदा करने के गुण होते हैं। इनमें पोसेस्ड मांस, अचार, रिफाइंड आटा, अनुवांशिक तौर पर संशोधित (जी एम) भोजन, हाईड्रोजनीकृत तेल, माइक्रोवेव में बने पॉपकार्न, आलू चिप्स, सॉसेज, डिब्बाबंद मांस, कार्नड गौमांस, हैम और बेकन आदि शामिल हैं। नाईट्राइट के साथ मीट को ठीक करने वाली प्रक्रिया से भी एन-नाईट्रोसो यौगिक नाम के कार्सिनोजन बन सकते हैं। धुएं वाले मीट से भी कार्सिनोजेनिक पॉलीसायक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन बनता है। इसे लंबे समय तक और बहुत ज्यादा खाते रहने से भी कैंसर हो सकता है। • कम फाईबर और बहुत ज्यादा चीनी वाला भोजन करना भी कैंसर का एक कारण हो सकता है। क्योंकि चीनी से कोशिकाओं को ईंधन मिलता है। इस तरह अधिक चीनी कैंसर की कोशिकाओं को भी ईंधन और ट्यूमर को बढ़ावा दे सकती हैं। इसमें गैस वाले और बहुत मीठे ड्रिंक्स, आईस टी, पेस्ट्री और हाईड्रोजनीकृत वनस्पति तेल से बने डोनट्स के अलावा कुकीज़ और कैंडी वगैरह आते हैं। • ज्यादा तला हुआ खान पान जैसे फ्रैंच फ्राईज़, पैटीस, समोसा, वगैरह भी नुकसानदायक होते हैं। बहुत गरम तेल में तलना और उसी तेल को फिर से बहुत गरम करने से एक्रिलामाईड नाम का एक यौगिक बनता है। और जब लंबे समय तक बहुत ज्यादा खाया जाए तो सूजन का कारण बनता है और सूजन कैंसर का एक बड़ा कारण है। • ज्यादा शराब पीने, बिड़ी, सिगरेट पीने और तम्बाकू खाने से भी सूजन होती है जो आगे चलकर कैंसर में बदल सकती है। हांलाकि एक हद में रह कर शराब पीने के कोई नुकसान देखने में नहीं आए हैं। • जठरतंत्र के अंदर की परत में मौजूद और भोजन को पचाने के लिए जरूरी, आंत के स्वस्थ बैक्टेरिया में कृत्रिम रंगों के कारण बदलाव आ जाता है। ये खून के प्रवाह में लीक होकर आंत को संक्रमित कर देते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को थका देते हैं। होटलों और सड़क किनारे बनाए जाने वाले भोजन में अक्सर ऐसे क्रत्रिम रंग होते हैं। डिब्बाबंद भोजन में भी ऐसे हानिकारक रंग होते हैं। • दूध से बनी खाने की चीजें भी ज्यादा खाने पर नुकसान करती हैं। प्रोसेस्ड पनीर में बहुत ज्यादा वसा, दूध से बनी मिठाइयों आदि में हॉर्मोन्स, और स्वादिष्ट दही, सब में चीनी होती है जो मोटाप की तरफ ले जाती है। या फिर यह एंडोक्रिनोलॉजिकल प्रणाली में बदलाव कर देते हैं जो कैंसर का कारण बनता है। • डिब्बाबंद चीजें। आज हमारे पास ऐसे विकल्प भरे पड़े हैं जो पहले कभी नहीं थे। इनमें से ज्यादातर खाने के सामान पैक किए हुए या डिब्बाबंद हैं। इस तरह की पैकिंग में अस्तर के तौर पर बिस्फेनाल होता है जो चयापचय से जुडे़ विकार पैदा करता है, जो निश्चित रूप से कैंसर का एक कारण हो सकता है। उदाहरण के तौर पर बोतल का पानी, डिब्बाबंद मक्का और फल, टमाटर प्यूरी, डिब्बा बंद अचार या मुरब्बे, फल्लीयां, नारियल का दूध, सूप और अनाज वगैरह। • डिब्बाबंद या पैक किए हुए खानपान की सभी चीजों के पीछे चिपके लेबल पढ़ना जरूरी होता है। लंबे समय तक उपयोग किए जा सकने वाले सामान में ज्यादा प्रिज़र्वेटिव, रसायन और एंटीकेकिंग तत्व होते हैं जो सूजन का कारण बन सकते हैं।